चिनाब ब्रिज उद्घाटन: बदलते कश्मीर की नई पहचान
आज की सबसे बड़ी और सबसे गर्वपूर्ण खबर लेकर हम आपके सामने हैं।आज वो ऐतिहासिक दिन है, जब भारत ने दुनिया को दिखा दिया है कि चाहे कितनी भी मुश्किल राह क्यों न हो, चाहे कितनी भी ऊंची चुनौती क्यों न हो—भारत हर मुकाम को छू सकता है, हर सीमा को पार कर सकता है।जम्मू-कश्मीर से आज आईं ये तस्वीरें इतिहास में दर्ज की जाएंगी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कश्मीर की धरती पर राष्ट्रध्वज तिरंगा थामे, गर्व से आगे बढ़ते हुए… और उनके पीछे भारत का तकनीकी चमत्कार—दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज, चिनाब ब्रिज।यह कोई आम पुल नहीं… यह पुल भारत के संकल्प का प्रतीक है। एक ऐसा पुल, जो 359 मीटर की ऊंचाई पर बना है—जो एफिल टॉवर से भी करीब 30 मीटर ऊंचा है। 1486 करोड़ की लागत से बना यह पुल सिर्फ लोहे और कंक्रीट का ढांचा नहीं, बल्कि यह भारत की हिम्मत, होसले और हुनर की मिसाल है।आज प्रधानमंत्री मोदी ने इस पुल का उद्घाटन कर न केवल एक बड़ी परियोजना राष्ट्र को समर्पित की, बल्कि यह भी दिखा दिया कि भारत अब “अबूझ पहाड़ों” को भी भेदकर विकास की राह बना सकता है।इस मौके पर उनके साथ मौजूद थे जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला।यह वही कश्मीर है, जो कभी सिर्फ बम-बंदूक और पत्थरबाजी की सुर्खियों में रहता था। लेकिन आज… आज यहां वंदे भारत ट्रेनें दौड़ने वाली हैं, चिनाब ब्रिज पर रेलगाड़ी गुजरने वाली है, और तिरंगा हर दिशा में लहरा रहा है।प्रधानमंत्री मोदी का यह अंदाज़—हाथों में तिरंगा, आत्मविश्वास से भरी चाल—एक गहरा संदेश देता है।
यह संदेश सिर्फ भारतवासियों के लिए नहीं, बल्कि पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी मुल्कों के लिए भी है।पाकिस्तान, जो दशकों से कश्मीर को अस्थिर करने की कोशिश करता रहा है, वह अब भय और हताशा में है।चीन, जो सीमा विवादों और सामरिक प्रतिस्पर्धा में उलझा है, उसके लिए भी यह पुल एक क्लियर जियो-स्ट्रैटेजिक मैसेज है—कि भारत अब सिर्फ अपने देश के अंदर ही नहीं, बल्कि सीमा तक की रणनीतिक तैयारियों में भी आगे निकल चुका है।इस पुल का निर्माण आसान नहीं था। वर्षों तक इंजीनियरों, श्रमिकों और तकनीकी विशेषज्ञों ने कठिन भौगोलिक परिस्थितियों, तेज हवाओं, और भूस्खलन जैसे खतरों के बीच इस चमत्कारी पुल को खड़ा किया।यह पुल दर्शाता है कि “मेक इन इंडिया” अब नारे से आगे बढ़कर जमीनी हकीकत बन चुका है।यह हमारे श्रमिकों का पसीना है, हमारे इंजीनियरों की नब्ज है, और भारत की टेक्नोलॉजिकल ताक़त का ऐलान है।
कश्मीर को आज दो वंदे भारत ट्रेनों की भी सौगात मिली है।एक तरफ आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रतीक चिनाब ब्रिज, और दूसरी तरफ देश की सबसे तेज़ ट्रेन—यह दोनों मिलकर दर्शा रहे हैं कि अब कश्मीर विकास की पटरी पर दौड़ने को तैयार है।प्रधानमंत्री मोदी का कश्मीर से तिरंगा लहराना केवल प्रतीकात्मक नहीं था—वह एक भविष्य दृष्टि थी। एक स्पष्ट संकेत कि कश्मीर अब आतंक नहीं, तरक्की का चेहरा बनेगा।तो ये था आज का सबसे बड़ा पल—भारत के आत्मविश्वास का, भारत के नए कश्मीर का, और उस हिम्मत का… जो कहती है:
“रास्ते कितने भी दुर्गम क्यों न हों, जब इरादा बुलंद हो तो हर पुल बनाना मुमकिन है।”