दिल्ली में शादी-चुनावों में भी पटाखे होंगे बैन? सुप्रीम कोर्ट ने आज पूछ लिया सख्त सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को आदेश जारी करके पटाखा बैन पर स्पेशल टास्क फोर्स का गठन करने के निर्देश दिए कोर्ट ने कहा कि कमिश्नर तुरंत एक्शन लें और पटाखों की ऑनलाइन सेल भी बंद करें.
पटाखों को लेकर दिल्ली पुलिस पर सुप्रीम कोर्ट नाराजगी जताते हुए कई बड़े सवाल पूछे हैं. कोर्ट ने कहा कि पटाखों पर बैन सिर्फ आईवॉश है. क्या किसी को प्रदूषण फैलाने का मौलिक अधिकार है? प्रतिबंध पूरे साल होना चाहिए. सिर्फ दीवाली पर नहीं. शादियों और चुनाव जीतने के दौरान पटाखे जलाए जा रहे हैं, पुलिस ने क्या कार्रवाई की है? क्या दिल्ली पुलिस यह दावा कर रही है कि दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध लागू किया गया है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पटाखों के निर्माण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध था. क्या पुलिस ने बिक्री पर प्रतिबंध लगाया, आपने जो कुछ जब्त किया है, वह पटाखों का कच्चा माल हो सकता है.
पटाखों की ऑनलाइन सेल भी बंद करें
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को आदेश जारी करके पटाखा बैन पर स्पेशल टास्क फोर्स का गठन करने के निर्देश दिए कोर्ट ने कहा कि कमिश्नर तुरंत एक्शन लें और पटाखों की ऑनलाइन सेल भी बंद करें.
कोई धर्म प्रदूषण को बढ़ावा नहीं देता
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी भी की कि कोई धर्म प्रदूषण को बढ़ावा नहीं देता. ये लोगों के स्वास्थ्य के अधिकार का भी मामला है. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार पूरे साल पटाखों पर बैन का विचार करे. दिल्ली पुलिस कमिश्नर इस बाबत निजी हलफनामा दाखिल करें.
दिल्ली सरकार 25 नवंबर तक ले फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस आयुक्त प्रतिबंध लागू करने के लिए एक स्पेशल सेल बनाएं. एसएचओ को इसके लिए जिम्मेदार बनाएं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी धर्म ऐसी किसी गतिविधि को बढ़ावा नहीं देता, जिससे प्रदूषण फैलता हो. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह पूरे साल प्रतिबंध पर विचार कर रही है. इसके लिए 25 नवंबर तक फैसला लिया जाए.
क्या दीवाली के दौरा पराली जलाने के मामले बढ़े
पराली जलाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि क्या ये सही है कि दीवाली के दौरान पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामले बढ़ गए. पंजाब और हरियाणा में अवैध रूप से पराली जलाने के खिलाफ अधिकारियों द्वारा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 15 के तहत मुकदमा न चलाए जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई.कोर्ट ने दोनों राज्य सरकारों से पूछा कि इस मामले को देखने के लिए नियुक्त किए गए लगभग 56 अधिकारियों ने क्या काम किया है और पिछले अधिकारियों के बारे में क्या किया गया, जिन्होंने इस मामले में कुछ नहीं किया.
पराली जलाने पर सरकारें सीधे मुकदमा दर्ज करने के बजाय कारण बताओ नोटिस जारी कर रहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पंजाब और हरियाणा द्वारा दायर किए गए हलफनामे से पता चलता है कि दीवाली के दौरान बड़ी संख्या में पराली जलाई गई थी. आज भी CAQM अधिनियम की धारा 14 के तहत कार्रवाई करने के लिए सरकारें इच्छुक नहीं दिखाई दे रही हैं. सरकारें सीधे मुकदमा दर्ज करने के बजाय अभी भी केवल उल्लंघन के बावजूद कारण बताओ नोटिस जारी करने में व्यस्त हैं. राज्यों को मुकदमा दर्ज न करने पर अदालत को स्पष्टीकरण देना होगा. राज्य सरकारें इस मामले पर 3 सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करें. इस मसले पर अदालत 12 दिसंबर को सुनवाई करेगी.