मेहुल चौकसी की बेल्जियम में नाटकीय गिरफ्तारी: पीएनबी घोटाले में एक नया अध्याय, प्रत्यर्पण की उम्मीदें फिर से जागीं
पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले के मुख्य आरोपी, हीरा कारोबारी मेहुल चौकसी की बेल्जियम में गिरफ्तारी ने देश में एक बार फिर सनसनी फैला दी है। यह गिरफ्तारी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अथक प्रयासों और बेल्जियम पुलिस के सहयोग का नतीजा है, जिसने 14,000 करोड़ रुपये के इस महाघोटाले में एक नया मोड़ ला दिया है।
गिरफ्तारी का विवरण और कानूनी आधार:
सीबीआई द्वारा बेल्जियम अधिकारियों को भेजे गए एक औपचारिक अनुरोध पत्र के आधार पर यह कार्रवाई की गई। मुंबई की एक अदालत द्वारा जारी वारंट ने इस गिरफ्तारी को कानूनी आधार प्रदान किया। चौकसी पर बेल्जियम में फर्जी दस्तावेजों के जरिए रहने का आरोप है। उसने अपनी नागरिकता संबंधी घोषणाओं में न केवल अपनी पहचान छिपाई, बल्कि भारत और एंटीगुआ की अपनी नागरिकता की भी जानकारी नहीं दी। यह तथ्य बेल्जियम के कानूनों का उल्लंघन है, जिसके कारण उसकी गिरफ्तारी हुई।
पीएनबी घोटाला: एक विस्तृत अवलोकन:
मेहुल चौकसी और उसके भांजे, नीरव मोदी ने कथित तौर पर पंजाब नेशनल बैंक के अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी ‘लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग’ (एलओयू) का उपयोग करके पीएनबी से 14,000 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण प्राप्त किया। यह घोटाला 2018 में सामने आया, जिससे भारतीय बैंकिंग प्रणाली की कमजोरियां उजागर हुईं। घोटाले के खुलासे के बाद, दोनों देश छोड़कर फरार हो गए।
चौकसी का भगोड़ा जीवन और कानूनी पेचीदगियां:
चौकसी ने बाद में एंटीगुआ और बारबुडा की नागरिकता हासिल कर ली थी। भारत सरकार ने उसे भगोड़ा घोषित किया और उसके खिलाफ सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मामले दर्ज किए। 2021 में, वह रहस्यमय परिस्थितियों में एंटीगुआ से लापता हो गया और बाद में डोमिनिका में पकड़ा गया। उस समय, यह आरोप लगाया गया था कि वह नाव के माध्यम से क्यूबा भागने की कोशिश कर रहा था। हालांकि, डोमिनिका की अदालत ने उसे रिहा कर दिया, जिससे भारत के प्रत्यर्पण प्रयासों को झटका लगा।
बेल्जियम में गिरफ्तारी का महत्व और भारत के प्रत्यर्पण प्रयास:
बेल्जियम में चौकसी की गिरफ्तारी ने भारत के प्रत्यर्पण प्रयासों को एक नई उम्मीद दी है। भारत और बेल्जियम के बीच एक प्रत्यर्पण संधि मौजूद है, जो इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बना सकती है। सीबीआई और ईडी इस मामले पर कड़ी नजर रखे हुए हैं और चौकसी को भारत लाने के लिए सभी कानूनी विकल्पों का पता लगा रहे हैं।
कानूनी और राजनयिक चुनौतियां:
हालांकि, प्रत्यर्पण प्रक्रिया में कानूनी और राजनयिक चुनौतियां भी शामिल हैं। बेल्जियम की अदालतों को यह सुनिश्चित करना होगा कि चौकसी के मानवाधिकारों का सम्मान किया जाए और उसे निष्पक्ष सुनवाई मिले। भारत को यह साबित करना होगा कि चौकसी के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और उसे भारत में न्याय का सामना करना चाहिए।
प्रभाव और भविष्य की दिशा:
चौकसी की गिरफ्तारी ने भारतीय बैंकिंग प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को फिर से उजागर किया है। यह भगोड़ों के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि कानून की पकड़ से बचना असंभव है। यह भारत सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है कि वह आर्थिक अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए दृढ़ संकल्पित है।
आगे क्या?
भारत सरकार चौकसी के प्रत्यर्पण के लिए बेल्जियम सरकार के साथ मिलकर काम करेगी। कानूनी प्रक्रिया में समय लग सकता है, लेकिन भारत सरकार को उम्मीद है कि वह चौकसी को जल्द ही भारत लाने में सफल होगी। यह गिरफ्तारी पीएनबी घोटाले में एक महत्वपूर्ण मोड़ है और यह भारतीय न्याय प्रणाली के लिए एक बड़ी जीत हो सकती है।
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