यूनुस बने रहेंगे बांग्लादेश के मुखिया: संकट टला या टला?

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बांग्लादेश: यूनुस की अंतरिम सरकार पर संकट के बादल छंटे? पद पर बने रहने का फैसला और बढ़ती चुनौतियाँ

बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर कौन सा संकट आया कि उन्हें  इस्तीफ़े पर विचार करना पड़ा? - BBC News हिंदी

ढाका, बांग्लादेश: बांग्लादेश में राजनीतिक अनिश्चितता के बीच, अंतरिम सरकार के मुखिया और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने अपने पद पर बने रहने का फैसला किया है। पिछले कुछ दिनों से उनके इस्तीफे की अटकलें तेज़ थीं, खासकर जब उन्होंने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP), जमात-ए-इस्लामी और नेशनल कांग्रेस पार्टी (NCP) जैसे प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से अलग-अलग मुलाकात की थी। हालांकि, इन अहम बैठकों के बाद, यूनुस के करीबी सलाहकारों ने स्पष्ट किया है कि वह अपने पद पर बने रहेंगे और वर्तमान में इस्तीफा देने का कोई इरादा नहीं है।

अटकलों पर लगा विराम:

यूनुस की सलाहकार परिषद की बैठक के बाद पत्रकारों को जानकारी देते हुए, सलाहकार महमूद ने पुष्टि की कि मुख्य सलाहकार और अन्य सभी सलाहकार अपने पदों पर बने रहेंगे। उन्होंने बताया कि बैठक में सलाहकारों ने अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में आ रही बाधाओं पर भी गहन चर्चा की। यह बयान उन सभी अटकलों पर विराम लगाता है जो यूनुस और सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमां के बीच कथित अनबन और देश में बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता के कारण पनप रही थीं।

बढ़ती चुनौतियां और ‘युद्ध जैसी स्थिति’:

हालांकि, यूनुस का पद पर बने रहना बांग्लादेश के लिए बढ़ती चुनौतियों को कम नहीं करता। मोहम्मद यूनुस ने हाल ही में चुनाव कराने की समय-सीमा दिसंबर 2025 से बढ़ाकर जून 2026 कर दी है, जिससे राजनीतिक दलों में नाराजगी है। उन्होंने यह भी बयान दिया है कि देश “युद्ध जैसी स्थिति” से गुजर रहा है, खासकर अवामी लीग की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के बाद।

बांग्लादेश वर्तमान में उच्च महंगाई, बेरोजगारी और बिगड़ती कानून-व्यवस्था जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। यूनुस सरकार पर इन मुद्दों को प्रभावी ढंग से संभालने में विफल रहने का आरोप भी लगाया जा रहा है। देश के विभिन्न हिस्सों में सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों की हड़तालें भी यूनुस प्रशासन की मुश्किलों को बढ़ा रही हैं।

सेना और राजनीतिक दलों का दबाव:

सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमां ने भी दिसंबर 2025 तक चुनाव कराने की मांग की है, जो यूनुस की जून 2026 तक की समय-सीमा से अलग है। राजनीतिक दल भी जल्द से जल्द स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव चाहते हैं, और इसके लिए चुनावी सुधारों की मांग कर रहे हैं। बीएनपी जैसे प्रमुख विपक्षी दल पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वे यूनुस को पूरा समर्थन देंगे, बशर्ते चुनाव तय समय पर हों और सुधार प्रक्रिया पूरी हो।

आगे क्या?

मोहम्मद यूनुस ने स्पष्ट किया है कि वह 30 जून, 2026 के बाद अपने पद पर नहीं रहेंगे, और उस समय-सीमा से पहले राष्ट्रीय चुनाव होंगे। हालांकि, देश में व्याप्त राजनीतिक तनाव, आर्थिक चुनौतियां और सेना व राजनीतिक दलों का बढ़ता दबाव यूनुस सरकार के लिए आगे की राह कठिन बना सकता है। बांग्लादेश के लिए अब सबसे महत्वपूर्ण चुनौती है कि किस प्रकार राजनीतिक स्थिरता बहाल की जाए और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सुचारू रूप से आगे बढ़ाया जाए। आने वाले महीने बांग्लादेश के राजनीतिक भविष्य के लिए बेहद अहम साबित होंगे।

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