दिल्ली में अब स्कूलों की मनमानी फीस पर लगेगी लगाम!
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अभिभावकों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली दिल्ली कैबिनेट ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए दिल्ली स्कूल फीस एक्ट 2025 को मंजूरी दे दी है। इस कदम से अब दिल्ली के निजी स्कूलों द्वारा की जाने वाली मनमानी फीस वृद्धि पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित हो सकेगा।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस महत्वपूर्ण निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि सरकार जल्द ही दिल्ली विधानसभा का एक अर्जेंट सत्र बुलाकर इस बिल को पारित कराएगी और इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाएगा। उन्होंने अभिभावकों की लंबे समय से चली आ रही चिंता को समझते हुए कहा कि फीस को लेकर उनके मन में काफी बेचैनी थी। जांच में यह पाया गया कि पिछली सरकारों ने दिल्ली में स्कूल फीस को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस कानून नहीं बनाया था, जिसके चलते स्कूलों पर लगाम लगाना मुश्किल हो रहा था। अब, इस ड्राफ्ट बिल को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है, जो इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
भाजपा नेता आशीष सूद ने भी इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने अभिभावकों की दिक्कतों को सुना और इस समस्या के समाधान की दिशा में तेजी से काम किया। उन्होंने बताया कि दिल्ली स्कूल एजुकेशन ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन और रेगुलेशन ऑफ फीस 2025 नामक इस बिल के तहत एक त्रिस्तरीय समिति का गठन किया जाएगा, जो फीस निर्धारण और नियमन में पारदर्शिता लाएगी।
क्या होगी यह त्रिस्तरीय समिति?
इस बिल की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसकी त्रिस्तरीय शिकायत निवारण और फीस निर्धारण प्रणाली है:
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स्कूल फी रेगुलेशन समिति (School Fee Regulation Committee): यह सबसे पहली स्तर की समिति होगी, जिसमें अभिभावकों का प्रतिनिधित्व भी शामिल होगा। विशेष रूप से, इस समिति में कम से कम एक SC/ST सदस्य और दो महिला सदस्यों का होना अनिवार्य है। यह समिति अगले तीन वर्षों के लिए स्कूल की फीस में वृद्धि या कमी पर निर्णय लेगी। इस समिति को 31 जुलाई तक गठित किया जाएगा और इसे अपनी रिपोर्ट 30 दिनों के भीतर सौंपनी होगी।
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डिस्ट्रिक्ट लेवल समिति (District Level Committee): यदि स्कूल स्तर की समिति 30 दिनों में अपनी रिपोर्ट नहीं दे पाती है, तो मामला इस स्तर पर भेजा जाएगा। इस समिति के पास निर्णय लेने के लिए 30 से 45 दिनों का समय होगा। यहां भी अभिभावकों का प्रतिनिधित्व रहेगा।
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स्टेट लेवल समिति (State Level Committee): यदि डिस्ट्रिक्ट लेवल समिति भी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाती है, तो अंतिम निर्णय के लिए मामला राज्य स्तर की समिति के पास जाएगा।
अभिभावकों के पास होगा सीधा शिकायत का अधिकार:
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि 15% अभिभावक स्कूल स्तर की समिति के निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं, तो वे सीधे डिस्ट्रिक्ट लेवल कमेटी के पास अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
मनमानी फीस वसूली पर लगेगा भारी जुर्माना:
इस नए एक्ट में स्कूलों पर नकेल कसने के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं। यदि कोई स्कूल समिति के निर्णय के बिना फीस बढ़ाता है, तो उस पर 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं, सरकार के पास ऐसे स्कूलों को अधिग्रहित (टेकओवर) करने का अधिकार भी होगा।
अभिभावकों के लिए राहत की सांस:
दिल्ली विधानसभा में इस अधिनियम के पारित होने के बाद यह कानून का रूप ले लेगा, जिससे निजी स्कूलों के फीस ढांचे पर सख्त नियम लागू हो जाएंगे। निश्चित रूप से, यह एक्ट उन अभिभावकों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आएगा जो लंबे समय से निजी स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि से परेशान थे। अब उम्मीद की जा सकती है कि शिक्षा की लागत को नियंत्रित किया जा सकेगा और सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुलभ हो सकेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नया कानून दिल्ली के शिक्षा परिदृश्य को किस प्रकार बदलता है।