दिल्ली का वो काला सच: जब एक सूटकेस में मिली इंसानियत की लाश
दिल्ली, देश की राजधानी, जहां हर रोज़ ज़िंदगी अपनी रफ्तार से दौड़ती है। लेकिन कभी-कभी कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो इस रफ्तार को रोक देती हैं, जो हमें सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि क्या हम सचमुच एक सभ्य समाज में जी रहे हैं? पिछले दिनों नेहरू विहार में घटी एक दिल दहला देने वाली वारदात ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। एक 9 साल की मासूम बच्ची के साथ हुई दरिंदगी और फिर उसकी निर्मम हत्या ने हर किसी को स्तब्ध कर दिया है।
वो शाम, वो दूरी, और वो हैवानियत
यह कहानी शुरू होती है एक आम शाम से, जब एक मासूम बच्ची अपने घर से महज 100 मीटर दूर अपनी ताई के घर जा रही थी। शायद उसे नहीं पता था कि ये 100 मीटर की दूरी उसकी ज़िंदगी की आखिरी दूरी साबित होगी। आरोप है कि नौशाद नाम के एक शख्स ने, जो उसी गली में रहता था, उसे अपनी बातों में फंसाया और अपने फ्लैट में ले गया। इसके बाद जो हुआ, उसे शब्दों में बयां करना भी मुश्किल है। मासूम के साथ दुष्कर्म किया गया और फिर उसे बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया।
सूटकेस का वो भयानक राज़
जब बच्ची घर नहीं लौटी, तो परिवार ने तलाश शुरू की। बच्चों ने बताया कि उन्होंने बच्ची को नौशाद के घर के पास वाले एक मकान में जाते देखा था। परिवार जब उस फ्लैट पर पहुंचा, तो वह बाहर से बंद था। ताला तोड़ा गया और अंदर का मंजर देख सबकी रूह कांप उठी। एक सूटकेस में बच्ची का खून से लथपथ शव पड़ा था, जिस पर चोट और ब्लेड के निशान थे। यह सिर्फ एक बच्ची का शव नहीं था, यह इंसानियत का शव था, जिसे एक सूटकेस में बंद कर दिया गया था।
आक्रोश में डूबा देश, न्याय की पुकार
इस जघन्य अपराध ने पूरे देश में गुस्सा भर दिया है। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक, हर तरफ आरोपी नौशाद के लिए कड़ी से कड़ी सजा की मांग हो रही है। पुलिस भी हरकत में है। नौशाद की तस्वीर जारी कर दी गई है और उसकी तलाश में दिल्ली और उत्तर प्रदेश में ताबड़तोड़ छापेमारी की जा रही है। पॉक्सो एक्ट और हत्या की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है और हर उस व्यक्ति से पूछताछ कर रही है, जिसने बच्ची को आखिरी बार देखा था।
कब रुकेगी ये दरिंदगी?
यह सिर्फ एक घटना नहीं है, यह समाज में बढ़ती हैवानियत का एक और उदाहरण है। हर बार हम ऐसी घटनाओं पर गुस्सा होते हैं, दुख व्यक्त करते हैं, न्याय की मांग करते हैं, लेकिन सवाल ये है कि आखिर ये दरिंदगी कब रुकेगी? कब हमारी बेटियां हमारे समाज में सुरक्षित महसूस करेंगी?
आज हर कोई यही चाहता है कि नौशाद जैसे दरिंदों को जल्द से जल्द पकड़ा जाए और उन्हें ऐसी मिसाली सजा दी जाए कि कोई और ऐसी क्रूरता करने की सोचे भी न। यह सिर्फ पुलिस और कानून की जिम्मेदारी नहीं है, यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम अपने समाज को बच्चों के लिए एक सुरक्षित जगह बनाएं।
आप इस घटना के बारे में क्या सोचते हैं? क्या आपको लगता है कि समाज में बढ़ती ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए और कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है? अपने विचार कमेंट्स में साझा करें।