धान की फसल पर रोग का खतरा: जीवाणु झुलसा रोग और शीथ ब्लाइट के लक्षण व नियंत्रण
चन्दौली, दिनांक 23 सितंबर 2025। जिला कृषि रक्षा अधिकारी स्नेह प्रभा ने किसानों को पत्र के माध्यम से जानकारी दी कि इस समय धान की फसल पर रोग का खतरा बढ़ गया है। दो प्रमुख रोगों का प्रकोप देखा जा रहा है – जीवाणु झुलसा रोग और शीथ ब्लाइट। इन रोगों के सही समय पर नियंत्रण के लिए आवश्यक प्रबंधन अपनाना किसानों के लिए बेहद जरूरी है।
जीवाणु झुलसा रोग के लक्षण और नियंत्रण उपाय
धान की पत्तियों पर लहरदार पीले-सफेद या सुनहरे पीले धब्बे, सिरों से सूखाव और बीच की नस सुरक्षित रहना इस रोग की पहचान है। सुबह के समय पत्तियों पर ओस जैसे जीवाणु रिसाव भी नजर आते हैं धान फसल रोग में।
उपचार और प्रबंधन
- 25 किलो बीज पर स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट + टेट्रासाइक्लिन 4 ग्राम की दर से बीज शोधन करें।
- 30 ग्राम स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट + टेट्रासाइक्लिन और 1.25 किग्रा कॉपर ऑक्सीक्लोराइड प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।
- गर्भावस्था की अवस्था में म्यूरेट ऑफ पोटाश 6 ग्राम / लीटर, जिंक 4 ग्राम / लीटर और सल्फर 6 ग्राम / लीटर का छिड़काव करें। लक्षण गहराने पर 7 दिन के अंतराल में दो बार छिड़काव करें।
- नाइट्रोजन उर्वरक का सीमित उपयोग करें और खेत से खेत में सिंचाई का पानी न जाने दें।
शीथ ब्लाइट रोग के लक्षण और नियंत्रण
शीथ ब्लाइट धान का फंगल रोग है जो अधिक नमी, गर्म तापमान और घनी रोपाई के दौरान फैलता है। इसके लक्षणों में पत्तियों पर भूरे धब्बे होते हैं जो बाद में लंबे बैंड का रूप ले लेते हैं और पौधा सूखने लगता है। https://youtu.be/_6nx12l_iU4
उपचार और प्रबंधन
- गर्मी में गहरी जुताई करना जरूरी है।
- बीज शोधन हेतु स्यूडोमोनास फ्लूरोसेन्स / ट्राइकोडर्मा 10 ग्राम प्रति किलो बीज का प्रयोग करें।
- बिचड़े की रोपाई से पहले 2.5 किलो स्यूडोमोनास फ्लूरोसेन्स को 100 लीटर पानी में घोलकर 30 मिनट तक बिचड़े भिगोएं।
- उर्वरक का अति प्रयोग न करें और पौधों के बीच उचित दूरी रखें।
- संक्रमित खेत का पानी अच्छे खेत में न जाने दें।
- प्रोपिकोनाजोल 25% EC या अजोक्सीस्ट्रोबिन + प्रोपिकोनाजोल का छिड़काव 500 लीटर पानी में 500 ग्राम दवा मिलाकर प्रति हेक्टेयर करें।
कृषि विभाग की अपील
कृषि विभाग ने कहा है कि किसान समय पर रोग की पहचान कर दवा छिड़काव और बीज शोधन करें, ताकि फसल की उपज सुरक्षित रहे और नुकसान न हो।
रिपोर्ट – हरिशंकर तिवारी
धन्यवाद इस बात को लिखने के लिए कि जब तक हमारी फसल बचती है, हमें हर महीने इस तरह की चिंता करनी पड़ती है। लेकिन यह जानकारी बहुत ही सहायक साबित हुई है, क्योंकि हमारे किसान जिन्हें इससे सबसे ज्यादा नुकसान होता है, उन्हें इससे बहुत कम समय पर पता चलता है। कृषि विभाग ने इस बात पर जोर देना बहुत अच्छा है, लेकिन सच में यही समय है कि हमें अपने खेतों की निगरानी करनी चाहिए और जल्दी से इन रोगों को नियंत्रित करने की बात करनी चाहिए।