छांगुर बाबा पर ED की बड़ी कार्रवाई अवैध धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश
ED की छापेमारी के बाद छांगुर बाबा का नाम हर तरफ गूंज रहा है, और मानो या न मानो, लोगों की आंखें खुली की खुली रह गई हैं। जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा—ये नाम अब हर न्यूज चैनल, सोशल मीडिया और पान की दुकान की बहस का फेवरेट टॉपिक बन चुका है। पहले लोग इसे अफवाह समझ रहे थे, पर अब तो सरकारी एजेंसियां खुद मैदान में उतर गईं, तो मामला सीरियस हो गया।
जरा सोचो, एक-दो जगह नहीं, पूरे 14 से ज्यादा ठिकानों पर एक साथ छापा पड़ा। यूपी, दिल्ली, मुंबई—बड़ी-बड़ी जगहों पर। ये कोई छोटा-मोटा लोकल गैंग नहीं था, पूरे देशभर में फैला नेटवर्क था। और छापेमारी में निकले क्या-क्या? बोरियों में भरे कागज, ढेरों इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, और सबसे चौंकाने वाली बात—विदेशी फंडिंग के पक्के दस्तावेज। अब ये तो साफ है कि खेल सिर्फ देश के अंदर ही नहीं, इंटरनेशनल लेवल तक पहुंचा हुआ है।
बात यहीं नहीं रुकती, भाई। जांच एजेंसियों ने जो कहानी खोली है, वो तो किसी क्राइम थ्रिलर से कम नहीं है। छांगुर बाबा और उसका गैंग—कोई आम ठग नहीं, बल्कि मासूम औरतों को टारगेट करता था। पैसे का लालच, डराना-धमकाना, धोखे से धर्मांतरण करवाना—हर तरीका आजमाया गया। सोचो, कोई अपने फायदे के लिए कितनी हद तक जा सकता है! रिपोर्ट्स तो कहती हैं, सैकड़ों लड़कियों को इस जाल में फंसाया गया, और उन्हें मजबूर किया गया कि वे अपना धर्म बदलें। इसमें सिर्फ गरीबी का फायदा नहीं उठाया गया, बल्कि दिमागी तौर पर भी कमजोर किया गया—नशीली दवाएं देकर, मेंटल प्रेशर बनाकर।
STF की रिपोर्ट ने तो जैसे आग में घी डाल दिया। साफ-साफ लिखा है—ये सब सिर्फ धर्म के लिए नहीं, इसमें मोटा पैसा और विदेश से कनेक्शन भी हैं। ED को शक है कि छांगुर बाबा के पूरे नेटवर्क को खाड़ी देशों से और यूरोप के कुछ एनजीओ से भारी रकम मिली। अब सोचो, जब इतनी इंटरनेशनल फंडिंग आ रही हो, तो देश के अंदर इस रैकेट का कितना असर रहा होगा? इससे कहीं न कहीं ये भी उजागर होता है कि हमारे सिस्टम में कितनी बड़ी सेंध लग चुकी है।
अब असली ट्विस्ट तो ये है कि इस गेम में सिर्फ बाबा और उसके चेले नहीं, बल्कि कुछ सरकारी अफसर—ADM, पुलिस, यहां तक कि सरकारी कर्मचारी भी शामिल थे। अब आप ही बताओ, जब चौकीदार ही चोर बन जाए, तो आम जनता किस पर भरोसा करे? रिपोर्ट्स में तो ये भी आया है कि इन अफसरों ने पूरे नेटवर्क को संरक्षण दिया, ताकि कोई हाथ न डाल सके। यही वजह है कि इतने सालों तक ये धंधा बड़े आराम से चलता रहा।
छांगुर बाबा का स्टैंड वही घिसा-पिटा—‘मैं बेगुनाह हूं, मुझे फंसाया गया है।’ लेकिन भाई, जब उसकी अलमारी से 1500 से ज्यादा धर्मांतरण केसों का पूरा हिसाब-किताब वाला रजिस्टर निकलता है, तो कौन मानेगा उसकी बात? ऊपर से कई पीड़ित लड़कियां खुद सामने आकर बोल चुकी हैं कि कैसे उन्हें बहलाया-फुसलाया गया, नशा दिया गया, और जबरदस्ती धर्म बदलवाया गया। ये सब सुनकर कोई भी इंसान सोच में पड़ जाएगा कि आखिर ये सब चल कैसे गया इतने टाइम तक?
प्रशासन ने भी इस बार कोई ढिलाई नहीं दिखाई—जहां-जहां छांगुर बाबा के सेंटर थे, वहां बुलडोजर भेज दिया। बोले—सब अवैध है, सब हटाओ। बाबा और उसकी एक महिला साथी को सीधा जेल भेज दिया गया है। अब मामला कोर्ट के हाथ में है, ED भी चार्जशीट फाइल करने में लगी है।
इस केस ने सिर्फ लॉ एंड ऑर्डर का इश्यू नहीं उठाया, बल्कि देश में धर्मांतरण के मुद्दे पर नई बहस छेड़ दी है। राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप लगा रही हैं, सोशल ऑर्गनाइजेशन सड़कों पर उतर आए हैं—हर कोई चाहता है कि इस तरह के रैकेट्स को जड़ से खत्म किया जाए। लोग कह रहे हैं, अब वक्त आ गया है कि धर्म के नाम पर होने वाले हर तरह के अपराध पर सख्त एक्शन हो।
सोचो जरा, ये जो सब चल रहा था, वो समाज के उस हिस्से पर सीधा हमला है, जहां लोग सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं—धर्म, विश्वास, और सरकारी सिस्टम। अब देखना है कि कोर्ट क्या फैसला करता है—क्या छांगुर बाबा को सजा मिलती है या फिर कोई नया ट्विस्ट आने वाला है?