कथा वाचक पंडित आशुतोष पाठक जी महाराज (काशी) के द्वारा

कथा वाचक पंडित आशुतोष पाठक जी महाराज स्थान_ग्राम पैगापर, डबरिया,जिला _चंदौली,उत्तर प्रदेश में दिनांक 11 जुलाई 2025 दिन शुक्रवार कलश यात्रा एवं पंचांग पूजन कार्यक्रम व दिनांक 17 जुलाई 2025 दिन गुरुवार को यज्ञ पूर्णाहुति एवं प्रसाद वितरण कार्यक्रम कराया गया। यज्ञाचार्य पंडित शिवशरण मिश्र, मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश आयोजक पंडित रामचंद्र उपाध्याय एवं समस्त उपाध्याय परिवार । 7 दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का हुआ समापन डबरिया, पैगापर में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा का गुरुवार को समापन हुआ। भागवत कथा में चार वेद, पुराण, गीता एवं श्रीमद् भागवत महापुराण की व्याख्या, प्रभुपाद, पंडित आशुतोष पाठक जी महाराज के मुखारवृंद से उपस्थित भक्तों ने श्रवण किया। पंडित आशुतोष पाठक महाराज जी बता रहे थे कि श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का आयोजन एक धार्मिक उत्सव है जो भगवान कृष्ण की लीलाओं और उपदेशों को सुनने और सुनाने के लिए किया जाता है। यह आयोजन भक्ति, ज्ञान और सेवा का मार्ग प्रशस्त करता है। श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के आयोजन के कई लाभ हैं, जिनमें शामिल हैं:
पुण्य की प्राप्ति: कथा सुनने से अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है।
मोक्ष की प्राप्ति: यह कथा सुनने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन के सभी कष्टों का निवारण होता है।
पितरों की शांति:
कथा का आयोजन और श्रवण पितरों को शांति और मुक्ति प्रदान करता है।
आत्मिक ज्ञान:
कथा के माध्यम से आत्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है और सांसारिक दुखों से मुक्ति मिलती है।
सकारात्मकता:
कथा सुनने से नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मकता का संचार होता है।
समृद्धि:
यह कथा जीवन में प्रगति, खुशहाली और समृद्धि लाती है।
श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है जो समाज में सकारात्मकता और आध्यात्मिक जागृति लाता है।भागवत कथा भक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। कथा व्यास ने पांडवों के जीवन में होने वाली श्रीकृष्ण की कृपा को बड़े ही सुंदर ढंग से दर्शाया गया हैं।
पंडित राम चंद्र उपाध्याय की तरफ से श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन कराया जा रहा है, यह धार्मिक उत्सव स्वयं को जानने और मन के सारे संतापों को दूर करने का एक सुअवसर है। पैगापर, डबरिया, धानापुर में आकर धार्मिक यात्रा और श्रीमद्भागवत कथा का लाभ प्राप्त करें
भागवतम् पुराण तथा भागवत कथा
सनातन धर्म के 18 पवित्र पुराण हैं, जिनमें एक भागवत् पुराण भी है। इसे श्रीमद्भागवत या केवल भागवतम् भी कहते हैं। यह जगत के पालक श्रीविष्णुजी के धरती पर लिए गए 24 अवतारों के साथ उस दौरान उनके जीवन की कथा का भावपूर्ण वर्णन है। 12 खंडों के इस ग्रंथ में 335 अध्याय तथा 18 हजार श्लोक हैं। इसके 10वें अध्याय में श्रीकृष्ण का जीवन सार कुछ इस प्रकार वर्णित है क यह समस्त प्राणियों के लिए सांसारिक जीवन जीते हुए ज्ञान तथा मुक्ति का मार्ग दिखाता है।
श्रीमद्भागवत कथा सुनना और सुनाना दोनों ही मुक्तिदायिनी है तथा आत्मा को मुक्ति का मार्ग दिखाती है। भागवत पुराण को मुक्ति ग्रंथ कहा गया है, इसलिए अपने पितरों की शांति के लिए इसे हर किसी को आयोजित कराना चाहिए
श्रीमद्भागवत कथा जीवन-चक्र से जुड़े प्राणियों को उनकी वास्तविक पहचान करता है, आत्मा को अपने स्वयं की अनुभूति से जोड़ता हैं तथा सांसारिक दुख, लोभ-मोह- क्षुधा जैसी तमाम प्रकार की भावनाओं के बंधन से मुक्त करते हुए इसे सुनने मात्र से हजारों अश्वमेघ यज्ञ आयोजनों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है।
गंगा, गया, काशी, पुष्कर या प्रयाग जैसे तीर्थों की यात्रा से भी अधिक पुण्यकारी है भागवत कथा का पाठ या इसे सुनना। इसे सुनने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इसे सुनने वाले पर स्वयं श्रीहरि विष्णु की कृपा रहती है, इसलिए उसके जीवन की सभी समस्याओं का निवारण होता है।
जगत के पालनहार की कृपा दृष्टि मिलने से व्यक्ति के जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं तथा जीवन में प्रगति, खुशहाली तथा समृद्धि के द्वार खुलते हैं।
इसे आयोजित कराने तथा सुनने वाले व्यक्तियों-परिवारों के पितरों को शांति तथा मुक्ति मिलती है। यह व्यक्ति को सभी प्रकार के पितृ-दोषों से निजात दिलाता है।
इस कथा को सुनने मात्र से व्यक्ति के जीवन से जुड़ा हर दोष नष्ट होता है, उसकी नकारात्मकता जाती रहती है और हर प्रकार से वह सकारात्मक हो जाता है। उसे स्वास्थ्य, समृद्धि मिलती है तथा भाग्य में वृद्धि होती है।इसे सुनने के क्रम में आत्मिक ज्ञान की प्राप्ति करते हुए आप सांसारिक दुखों से निकल पाते हैं। मनोकामना पूर्ति होती है श्रीहरि के कृपापात्रों को संसार में कोई भयभीत नहीं कर सकता। इसलिए ऐसे व्यक्तियों को बुरी नजर, भूत-प्रेत बाधा आदि से भी मुक्ति मिलती है। पारिवारिक-मानसिक अशांति, क्लेश का नाश होता है, शत्रुओं पर विजय मिलता है तथा उनका शमन होता है।भागवत कथा को सुनना जितना पुण्य प्राप्ति का माध्यम है उतना ही इसका आयोजन करना भी। अगर आप खुद इसका आयोजन नहीं कर पा रहे हैं, इस पवित्र कथा आयोजन का हिस्सा बनकर आप भी अपना जीवन सुधार सकते हैं। अलावा रोग-शोक, पारिवारिक अशांति दूर करने, आर्थिक समृद्धि तथा खुशहाली के लिए इसका आयोजन किया जाता है।
पैगापर, डबरिया:
भगवान के कृपा के बिना सत्संग नहीं प्राप्त किया जा सकता- पंडित आशुतोष पाठक जी कथा के माध्यम से श्रोताओं को बताया कि भगवान श्री कृष्ण अपने भक्तो को कभी निराश नही होने देते उसे हर भवसागर से पार कर देते है जो उनके सहारे अपने जीवन को छोड़ देता है और उनकी भक्ति मे रम जाता है ।
कथा वाचक पंडित आशुतोष पाठक जी महाराज का सम्मान अंगवस्त्र देकर, गौ सेवा जिला अध्यक्ष_ परमानंद तिवारी ने किया।
कथा में सम्मिलित शैलेश तिवारी,सुनील सिंह,लकी पाण्डेय, अच्युतानंद उपाध्याय,मोनू उपाध्याय, अमन पाण्डेय,एवं समस्त ग्राम वासी व क्षेत्रवासी मौजूद रहे।
रिपोर्ट_हरिशंकर तिवारी